भलीभांति याद रखने के लिये एवं प्रभावपूर्ण ढंग से स्मरण करने के लिए हमें निम्नांकित दस सिद्धांतों का ध्यानपूर्वक पालन करना चाहिए ।
1. साहचर्य -हम यह जानते हैं कि एक पंक्ति क्या होती है । यदि हम चार समान पंक्तियों को एक से एक कोने को मिलायें तो हम वर्ग बना लेते हैं । यदि छः वर्गों को साथ में मिलायें तो एक क्यूब ( Cube ) बन जाता है । यह कितना सरल है । लेकिन बिना यह जाने कि एक पंक्ति क्या है और एक वर्ग क्या है कोई भी यह नहीं जान सकता कि एक क्यूब क्या है ।
जो बात ज्यामिति ( Geometry ) में सही है वही जीवन के प्रत्येक पक्ष में सही है । हम प्रत्येक नयी चीज को सीखते और याद रखते हैं केवल उसके पहले से जानी हुई चीज के साथ जोड़कर ज्ञानार्जन की कोई अन्य विधि नहीं है ।
यदि आप संस्कृत शब्दों के सीखने के बारे में सोचें तो आप तुरंत इस कथन की सत्यता को देख पायेंगे । यह सीखने के लिए पानी संस्कृत में ' जल ' होता है , तो हमें पानी और जल के मध्य एक संबंध बनाना होगा और यदि यह संबंध मजबूत होगा तभी आवश्यकता पड़ने पर हम उस संस्कृत शब्द को बतला पायेंगे । एक बार हमारे मस्तिष्क में पानी और जल के बीच का मार्ग दृढ़तापूर्वक स्थापित हो जाए , तो इनमें से किसी भी शब्द को याद कर सकते हैं । मैं भली - भांति जानता हूं कि अब तक आपने ऐसा संबंध ( साहचर्य ) नहीं बनाया है । कई बार हम ऐसे साहचर्य बनाने के बारे में जागृत नहीं होते । हम ऐसा अज्ञात रूप से करते हैं । जैसे एक छोटा बालक daddy शब्द को अपने पिता से जोड़ लेता है । इस संबंध या साहचर्य को जाने बिना । अगले अध्याय में हम देखेंगे कि जाग्रत रूप से ऐसे साहचर्य बनाना हितकर रहता है जो हमारी व्यक्तिगत स्मृति के प्रकार और उसकी आवश्यकता के अनुकूल हों ।
2. स्मृति -में विश्वास आपको अपनी स्मृति में विश्वास रखना चाहिए । कुछ करने से पूर्व आपको अपनी स्मृति में विश्वास रखना चाहिए । आपकी स्मृति में निम्नांकित शब्द दृढ़तापूर्वक स्थापित हो जाना चाहिए ।
“ मेरा मस्तिष्क इस संसार के सर्वोत्तम कम्प्यूटर से भी अधिक अच्छा है । " "
यदि आप यह सोचते हैं कि आप किसी चीज को भलीभांति याद नहीं रख पायेंगे तो आप उसे भली - भांति याद नहीं रख पायेंगे । आपने 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को यह कहते हुए सुना होगा । क्षमा कीजिये , मेरी स्मरण शक्ति कमजोर है । या किसी को यह कहते हुए सुना होगा कि मुझे आपका नाम याद नहीं आ रहा है । या मेरी स्मृति खराब है । • सुबह उठने से पूर्व और उसके बाद हमें स्वयं से कहना चाहिए । " मैं अपनी स्मृति का विश्वास करता हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि यह एक कम्प्यूटर की भांति ही कार्य कर सकती है । ” अपनी स्मृति में अपने विश्वास को सुधारने के उत्तम तरीकों में से एक है " स्वयं सुझाव " या स्वयं बार - बार दोहराना कि " मैं अधिक अच्छी तरह से याद रख सकता हूं । " यह सोचिये कि यदि आप प्रत्येक से यह कहते हैं कि " मेरी स्मृति खराब है ” तो फिर आप यह कैसे आशा कर सकते हैं कि आपकी स्मृति आपको उत्तम सेवा दे सकती है ।
3. ध्यान केंद्रित करना -ध्यान के केन्द्रीकरण का अर्थ है एक समय में एक ही वस्तु पर दृढ़ता से विचार करना । जो कुछ आप देख या सुन रहे हैं उसके अतिरिक्त अन्य प्रत्येक चीज को अपने मस्तिष्क से मिटा या हटा दीजिये । अपने विचारों को भटकने न दीजिये । अन्त में यह देखिये कि आपकी स्मृति आपका मानसिक बैंक हैं अगर आप ऐसा कर सकते हैं तो आप ध्यान केंद्रित कर रहे हैं । जिस प्रकार हम जितना अधिक एक गधे को खींचते हैं उतना ही अधिक वह अवरोध करता है । ऐसा ही ध्यान केंद्रीकरण के बारे में है , अर्थात् जितना अधिक आप बिखरे विचारों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहते हैं उतना ही आपके विचार इधर - उधर भागते हैं । एक गधे को आगे चलाने की युक्ति यह है कि उसके आगे एक सब्जी लटकाएं और वह आपके पीछे चलेगा जहां कहीं भी आप उसे ले जाना चाहेंगे । अत : एक विशेष विषय पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हमें उस विषय में रुचि का निर्माण करना चाहिए ।
4. इंद्रियों की शक्तियां- जो कुछ आप अपनी स्मृति में जमा करना और बाद में निकालना चाहते हैं उसे आपको स्पष्टतया देखना और सुनना चाहिए । याद की जाने वाली वस्तु पर अपना ध्यान केंद्रित कीजिये और उसे अपनी कल्पना में देखिये , सुनिये और संभवत : उसका स्वाद लीजिये या उसे अनुभव कीजिये | जब आप अपनी इंद्रियों को इसमें शामिल करते हैं तो उनके प्रभाव सदैव पैने होते हैं और सुगमता पूर्वक भुलाये नहीं जाते । किसी चीज को याद करते या सीखते समय निम्नांकित सभी छ : इंद्रियों को उसमें शामिल करने का प्रयास कीजिये
1. सुनने की इंद्रिय ( Sense of hearing )
2. देखने की इंद्रिय ( Sense of vision )
3. सूंघने की इंद्रिय ( Sense of smell )
4. चखने की इंद्रिय ( Sense of taste )
5. स्पर्श की इंद्रिय ( Sense of touch )
6 . गति संवदन की इंद्रिय ( Sense of Kinesthesia ) अर्थात् शारीरिक स्थिति और गति के प्रति जागरूक होना ।
5. रंग-हम सब स्वप्न देखते हैं और कभी - कभी दिन में स्वप्न देखते हैं । कभी - कभी हम अपने स्वप्नों की मित्रों के साथ चर्चा करते हैं , लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि क्या आपका स्वप्न रंगीन था या काला- सफेद ।
यह विश्लेषण करने का प्रयास कीजिए कि क्या आपका स्वप्न रंगीन था या काला और सफेद । पुन : यह ध्यानपूर्वक देखने का प्रयास कीजिये कि आपका स्वप्न किन रंगों का था , तत्पश्चात् यह विश्लेषण करने का प्रयास कीजिये कि क्या वह स्वप्न बहुत स्पष्ट था या धुंधला था । यदि वह धुंधला था तो पुन : अपनी कल्पना के पर्दे पर उसे जितना संभव हो स्पष्टता से देखने का प्रयास कीजिये । जहां तक संभव हो , अपने चित्र और चिंतन को अधिक स्मरणीय बनाने के लिए रंगों की विविधता का प्रयोग कीजिये ।
6. बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत करना- हमारे मस्तिष्क की यह विशेषता है कि वह बढ़ा - चढ़ाकर कही गई बातों को अधिक शीघ्रता से याद रख लेता है और उन्हें हमारे जाग्रत मस्तिष्क में अधिक लम्बे समय तक स्थिर रखता है । तो फिर क्यों न इस विशेषता को सकारात्मक भाव ( Positive Sense ) में काम में लें । क्यों न मस्तिष्क की इस सुंदरता को हम चीजों को अधिक लम्बे समय तक याद रखने के लिए काम में लें ? अतः जहां तक संभव हो मानसिक चित्र को गहरे रूप में देखने का प्रयास कीजिये । यह कल्पना कीजिए कि एक मोटे आदमी को हम कैसे भूल पायेंगे यदि हम उसके पेट की एक बड़े बर्तन और चेहरे की फुटबॉल के रूप में मस्तिष्क में छवि बनायें ।
7. चित्र -जो कुछ आप याद रखना चाहते हैं उसकी एक मानसिक छवि ( Mental Picture ) बनाने का प्रयास कीजिये । विचार , तारीख , सिद्धांत या किसी भी चीज की एक मानसिक छवि बनाइये क्योंकि मानसिक छवि बनाने से याद करने की प्रक्रिया तेज होती है ।
8. सैक्स -सैक्स एक सामान्य रुचि का विषय है । इस क्षेत्र में सभी की उत्तम स्मृति होती है । अतः जहां कहीं समय हो सैक्स को स्मृति के एक सहायक के रूप में प्रयोग में लाइये ।
9. अजीबो - गरीब बातें-मान लीजिये कि आप एक विद्यार्थी हैं और एक दिन आपके अध्यापक अपने सिर पर हैल्मेट पहनकर अपना भाषण देते हैं । आप मुझसे सहमत होंगे कि आप उस दिन को कभी नहीं भूल पायेंगे । वह एक अजीबोगरीब बात थी । मस्तिष्क की यह सुन्दरता है कि वह अजीबोगरीब चीजों को शीघ्र स्वीकार कर लेता है और लम्बे समय तक याद रखता है । अतः क्यों न हम इसका प्रयोग चीजों को याद करने में करें ? जीवन में कोई भी चीज़ इतनी बेकार या गंभीर नहीं होती कि उसे याद करने योग्य रोचक न बनाया जा सके । जब हम किसी चीज को हास्य रूप में कहते हैं तो वह याद करने योग्य बन जाती है । जब कोई चीज हास्यपूर्ण होती है तो उसे याद रखना आनन्ददायक क्रिया बन जाता है ।
10. विचार -आप यह मानेंगे कि अमूर्त बातों को याद रखना बहुत कठिन होता है । अतः यह आवश्यक है कि अमूर्त विचारों को किसी मानसिक तस्वीर में बदल दिया जाये और तब यह मानसिक तस्वीर हमें उन अमूर्त विचारों को याद रखने में मदद करेगी । मूलतः हम अपनी स्मृति में कोई भी बात जमा नहीं कर सकते जब तक कि हम उसे किसी ऐसी चीज में बदल न दें जिसे हम देख सकें या चित्रित कर सकें । विदेशी मुद्रा को अपने खाते में जमा करने से पहले हमें उसे उसके समान मूल्य की भारतीय मुद्रा में बदलना तो होगा ही । इसी प्रकार एक अमूर्त विचार को अपनी स्मृति में जमा करने के लिए यह आवश्यक है कि उसे किसी एक रूप में बदला जाये , जिसे हम समझ सकें जिसे हम देख सकें , तभी हमारा मस्तिष्क उसे प्रभावपूर्ण ढंग से ग्रहण करेगा ।
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