दृढ़ एकाग्रता में ' आई ' तत्व



 क्या आपके पास प्रबल एकाग्र शक्ति है ? हमने यह प्रश्न पिछले तीन वर्षों में लगभग 50,000 विद्यार्थियों से किया । 99 प्रतिशत विद्यार्थियों का उत्तर न में था । आइये इसका मतलब समझें जब हम अपनी पसंद की फिल्म देखने जाते हैं तब हम तीन घंटे उसी में आंख गड़ाये बैठे रहते हैं । हम शायद ही जानते हैं या जानने की कोशिश करते हैं कि हमारे एक दम पास में कौन बैठा है तथा कब उठकर चला गया है । इसी तरह क्रिकेट मैच के दौरान खाना - पीना तथा सब कुछ छोड़कर एक टक देखते रहते हैं एवं अपने आपको पूरी तरह से उसी में लगा देते हैं । लेकिन यदि हम पढ़ाई कर रहे हों , तो ध्यान बंटने में ज्यादा समय नहीं लगता । अगर मीलों दूर संगीत बज रहा हो तो जैसे पढ़ाई से ध्यान हटने का बहाना मिल जाए , हमारा ध्यान तुरंत पढ़ाई से हट जाता है । ये सभी अनुभव यही बताते हैं कि एकाग्रता किसी विषय में रुचि होने के अलावा और कुछ नहीं है । किसी विषय को भली - भांति सीखना या समझ में आना इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितनी मात्रा में अपना ध्यान एकाग्र उस विषय में करते हैं और एकाग्रता इस बात पर निर्भर करती है कि हम उस विषय में कितनी मात्रा में रुचि ले रहे हैं । अगला महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि एकाग्रता बढ़ाने के लिए बोरिंग विषय में किस प्रकार रुचि पैदा की जाए ? इसे समझने के लिए हमें ' रुचि ' को अच्छे से समझना होगा । कल्पना कीजिए कि आपको पिछले सप्ताह हुई पार्टी के फोटो दिये जाते हैं जिसमें आप भी शामिल हैं । आप उन फोटो में क्या देखेंगे ? जाहिर है उन फोटो में आप अपनी फोटो देखने की कोशिश करेंगे । इसका मतलब , जिस विषय में हम ज्यादा रुचि लेते हैं उसमें एकाग्रता का पैमाना भी अधिक होता है । हम उस विषय को जल्दी सीख सकते हैं जिस विषय के साथ अपने आपको संबंधित कर लेते हैं । यह कैसे करें ? एक स्मृति टेस्ट के दौरान , हमने छठी कक्षा के विद्यार्थियों के दो समूहों को “ प्राचीन मानव तथा उनके विकास ” बारे में पढ़ाया । पहले समूह को कहानी इस प्रकार बताई : " प्राचीन मानव गुफा में रहा करते थे । उन्होंने दो पत्थरों को आपस में रगड़कर आग की खोज की । वे पत्ते तथा जानवरों की खाल पहना करते थे ... ! ” हमने दूसरे समूह के विद्यार्थियों से अपने आपको आदि मानव सोचने के लिए कहा तथा उन्हें बताया : “ आप गुफा में रहा करते थे । आपने पत्थरों को रगड़कर आग की खोज की । आप शरीर में पत्तियां तथा जानवरों की खाल पहनते थे ... ! ” परिणाम दूसरे समूह के विद्यार्थियों ने पाठ जल्दी सीखा तथा एक साल बाद करीब - करीब ठीक उसी ढंग से कहानी दोहरा सके । महत्त्वपूर्ण संकेत : अपने आपको शामिल करना ।

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