इन्द्रियों का प्रयोग -डा . ब्रूनो फ्रोस्ट के अनुसार , औसतन हमें याद रहता है : 

- 25 प्रतिशत जो कुछ हम पढ़ते हैं , की वजह से ! 

- 35 प्रतिशत जो कुछ हम सुनते हैं । - 

- 50 प्रतिशत जो कुछ हम देखते हैं । 

- 60 प्रतिशत जो कुछ हम कहते हैं । 

- 75 प्रतिशत जो कुछ हम करते 

- 95 प्रतिशत जो कुछ हम पढ़ते , सुनते , देखते बोलते तथा करते हैं । इसलिए , क्यों न इन इंद्रियों का बेहतर उपयोग किया जाए । अपनी इंद्रियों का बेहतर इस्तेमाल करने वालों में रूसी पत्रकार सोलोमन अग्रणी है । उनकी इतनी तेज स्मृति थी कि अगर उनसे 15 साल पहले के किसी खास दिन के बारे में पूछा जाता था तो वे थोड़े पलों के लिए मौन रहकर उस दिन की घटना का विवरण हुबहु दे देते थे । यहां तक कि उस दिन उपस्थित लोगों न क्या तथा किस कलर की पोशाक पहन रखी थी तथा उस समय वहां कौन - कौन मौजूद था । 

इसका राज यह था कि वे गजब की मानसिक चित्रण तथा अविश्वनीय बौद्धिक क्षमता रखते थे ।

 जब कभी सोलोमन को कोई सूचना दी जाती थी वे बहुत ही विधिपूर्वक अपने जहन में स्टोर कर लेते थे । परिणामस्वरूप जरूरत के समय वह सूचना उन्हें तुरंत स्मरण हो जाती थी । जितने प्रभावपूर्ण तरीके से ज्ञानेन्द्रियों का प्रयोग किया जाएगा उतना ही बेहतर याद करना , सीखना तथा धारण करना संभव हो पायेगा । इसलिए मानसिक चित्रण को , ध्वनि एवं अहसास से संबंधित करें फिर यदि संभव हो तो गंध तथा रुचि के साथ संबंध जोड़े । जितनी ज्यादा सूचनाएं संबंधित होंगी उतनी ही उन्हें सुराग द्वारा स्मरण करना आसान होगा । सोलोमन इस प्रक्रिया के सबसे उम्दा उदाहरण हैं ।

 महत्त्वपूर्ण संकेत : देखो , सूंधो , अहसास करो , सुनो , रुचिदायक